कुछ अधूरे शब्द लेखक द्वारा पिछले 3 वर्षों में लिखी गई कविताओं का संग्रह है, जब पूरी दुनिया अनिश्चितताओं से जूझ रही थी और दुनिया आशा और विश्वास की तलाश में थी, कविताओं के माध्यम से लेखक ने अपने विचारों, अपेक्षाओं और विचारों को सामने रखने की कोशिश की है। उम्मीदें कागज पर इस आशा के साथ कि यह पुस्तक पाठकों के लिए कुछ आशा और साहस लेकर आएगी।
आशुतोष अग्निहोत्री समकालीन हिन्दी कविता के ऐसे ही विलक्षण कवि हैं जिनकी पुस्तक में लिखी कविता हर वक्त साथ रहनेवाली प्रतिच्छवि की तरह है। कभी यह विचारों के सहारे खड़ी होती है तो कभी भावों के और कभी यह विभिन्न दृश्यों या चित्र-छवियों में रमती हुई नज़र आती है। ठीक एक आदमी की तरह ही उसका जीवित और गतिशील अस्तित्व है। जीवन की तरह ही उसका विस्त
आशुतोष अग्निहोत्री समकालीन हिन्दी कविता के ऐसे ही विलक्षण कवि हैं जिनकी पुस्तक में लिखी कविता हर वक्त साथ रहनेवाली प्रतिच्छवि की तरह है। कभी यह विचारों के सहारे खड़ी होती है तो कभी भावों के और कभी यह विभिन्न दृश्यों या चित्र-छवियों में रमती हुई नज़र आती है। ठीक एक आदमी की तरह ही उसका जीवित और गतिशील अस्तित्व है। जीवन की तरह ही उसका विस्तार है, और जीवन से भी कहीं बढ़कर उसकी दूरगामी छाया या प्रभाव है। आशुतोष अग्निहोत्री की दृष्टि कविता-पगी है। इनकी कविताएँ हमारी दृष्टि को व्यापक बनाती हैं। कल्पना का उन्मेष भी अनुपम है। आशुतोष अग्निहोत्री की कविताएँ धरती के हर कुछ से एक रिश्ता कायम करती हैं। उनके अनुभव से हमारे अंतरमन का तार सहजता से जुड़ जाता है।
ओस की थपकी' साधारण भावनाओं की सरल लेकिन अहसास के स्तर पर ठहरकर पढ़ी जानेवाली कविताओं का संग्रह है। इस संग्रह में सम्मिलित कविताएँ पहली निगाह में बहुत आसान अनुभवों की अक्काशी करती नज़र आती हैं, लेकिन ध्यान से देखें तो उनके पीछे जीवन के जटिल और आवेशकारी तजुर्बों की एक लम्बी शृंखला बिंधी दिखाई देती है। कवि एक कविता में समाज के, हमारे आसपास क
ओस की थपकी' साधारण भावनाओं की सरल लेकिन अहसास के स्तर पर ठहरकर पढ़ी जानेवाली कविताओं का संग्रह है। इस संग्रह में सम्मिलित कविताएँ पहली निगाह में बहुत आसान अनुभवों की अक्काशी करती नज़र आती हैं, लेकिन ध्यान से देखें तो उनके पीछे जीवन के जटिल और आवेशकारी तजुर्बों की एक लम्बी शृंखला बिंधी दिखाई देती है। कवि एक कविता में समाज के, हमारे आसपास के परिवेश में व्याप्त दीमकों की तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए कहता है कि 'अफसोस से देखते हैं/कुतरी हुई किताबें/उदास अलमारियाँ/...मगर करें तो करें क्या/जि़द्दी हैं ये दीमक।' गौर से नहीं देखें तो हम इसे एक सीलन-भरे कमरे का दृश्य समझकर आगे बढ़ सकते हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि ये दीमकें उन ताकतों का प्रतीक मात्र हैं जो हमारे आसपास आजकल हर कहीं $खासतौर पर ज्ञान, शिक्षा और पुस्तकों के विरुद्ध अपनी कुंद दिमाग जि़द को चढ़ाए बैठी हैं। इसीलिए कवि अन्त में इसके लिए एक उपचार भी सुझाता है कि ये दीमकें 'तब तक उगतीं/और उठती रहेंगी/ जब तक खोदकर/गहराइयों में/जला नहीं देते/ नई अलख...।' एक ऐसी अलख जिसकी आँच में मिट्टी का कण-कण, हमारे परिवेश का एक-एक अंश गमकने लगे। नई लौ, और नई खुशबू इस तरह जाग्रत हों कि भविष्य में किसी भी दीमक को, किसी भी ऐसी ताकत को उभरने का अवसर न मिले जो हमारी मानवीय जिज्ञासा को चुनौती देती हो। इसी तरह इस संग्रह की लगभग सभी कविताएँ जीवन के अतिसाधारण बिम्बों और चित्रों के माध्यम से ऐसी समस्याओं से हमारा परिचय कराती हैं जिनकी तरफ हमारा ध्यान अपनी दैनंदिन व्यस्तताओं की ऊहापोह में नहीं जाता है। ये कविताएँ वास्तव में हमारी उन्हीं दैनिक सामान्यताओं को कविता के असाधारण अनुभव में बदलने का भाषिक उपक्रम है।
The Looking at the Skies and Beyond: Essays and Reflections is the third book by the author in the genre of personal reflections. As the writer has said these essays are his thoughts that spring naturally and spontaneously after he encounters a person, an event, or a situation evoke and provoke a chain of thoughts that develop into an essay on that particular central theme. Some such themes got essayed well, and others remained partial and inchoate, giving the appearance of a musing, an attempt to build an idea, or an argument. Even seemingly underdeveloped ideas have germinated and may grow and blossom someday. The author has kept them in their nascent form, allowing them to breathe.
The light of love and other stories is a compilation of short stories, written by the author in the last few years. While the book is a work of fiction, the stories throw a variety of thoughts and emotions which flow from the author's experiences, observations, emotions and empathy. The book traverses through the vast vicissitudes of life, and just like life, it depicts varied shades of love, loss, friendship, hope, despair, perseverance, dejection, strength and courage. The book is a compilation of ten short stories. These lively stories are a testament to the author’s intricate observations on our daily life which is perfect in its imperfections.
A Piece of Mind is a compilation of random thoughts, written by the author in last few years. These thoughts spring from his inner responses to people, incidents and situations. The book is essentially an unfinished diary – a faithful record of events and observations, behaviours and idiosyncrasies. The thoughts move from one world to another, exploring both the seen and unseen and touching the tangible as well as intangible. The words flow like a rudderless boat, struggling to brave the strong winds and currents but still sure of reaching somewhere – which may or may not be their chosen destination. And just like the mind – complex and layered – the piece that the book carries is incomplete, imperfect and inscrutable. It is just one piece of mind, trying to find other related, connected pieces, to find some sense and order in the world around and the world within.
COLOURS OF MY WALL – NOT WITH THE SAME BRUSHis the second volume of this genre after Piece of Mind, which was published in 2018. The book containsrandom thoughts and reflections of the author emanating from his observations, experiences and imagination. The writer has recorded his thoughts faithfully – without making any conscious effort of transmuting them into something “rich and strange”. The result is ‘The Colours of My Wall’ – the metaphorical wall which is a canvas where the author paints his thoughts without following any definite pattern. Further, there is no effort to make it look shiny and beautiful.As the author says: This wall is his and so is the chaos. The wall is coloured in parts. It remains without colours at some places. There are places where it appears discoloured too.
Love, Life and Longing is an expression of the many shades that colour the world – both external and internal. It celebrates life. It celebrates love. It also celebrates longing. The poems emanate from an impulse, a thought, an idea, a picture, a dream or an experience. The impulses may be real or imaginary. The inspiration may be tangible or ethereal. But the words glow with wonder, joy and innocence. They yearn to light up the dark corners and recesses, both visible and invisible. The words float on clouds and explore the sky. They also dive deep into eyes and hearts. They chase shadows and rainbows. They struggle to keep the hope afloat. They persist in their resolve to raise, cheer and edify. The poems sing aloud the silence of a sensitive soul. They also reverberate with the echo of their own screams.
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